hindisamay head


अ+ अ-

कविता

क्या था

प्रांजल धर


यह क्या था
अरुणाचल के जल्दी हुए
रक्तिम सवेरे में
क्या था दोपहर को ही छा चुके
घुप मानसिक अँधेरे में
कोई गाढ़े हरे पत्ते वाली कोमल घास
समुद्रतटीय आदिवासी का वंचित अहसास
या मिजोरम का कोई मोटा मजबूत बाँस!
त्रिपुरा के गरीबों की साइकिल पर लदा कोई कटहल
या मणिपुर में मालोम का
कोई गुमनाम मीठा फल?
या फिर नदभार से त्रस्त ब्रह्मपुत्र का बहुत भारी जल!
या असम की किसी विरहिणी के
हृदय का मरुस्थल?
क्या था
जो रह-रहकर अभिव्यक्त हो जाने को
खटकता है
और जीवन की वर्णमाला में जगह पाने को
भटकता है ऐजोल-सा
और हर बार हृदय और वाणी
के बीच
किसी रेतीले टीले पर ही अटकता है।
...और सारी सैद्धांतिकी सुन्न हो जाती है।


End Text   End Text    End Text

हिंदी समय में प्रांजल धर की रचनाएँ